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इन्टरनेट की दुनिया

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फनी

पिता_पुत्र_____ एक बार एक पिता अपने #पुत्र के कमरे के बहार से निकला तो देखा, कमरा एकदम साफ़। नयी चादर बिछी हुई और उसके उपर रखा एक पत्र। इतना साफ़ #कमरा देखकर पिता अचम्भित हो उठा। उसने वो पत्र खोला। उसमे लिखा था। #प्रिये पिता जी, मैं घर #छोड़कर जा रहा हूँ। मुझे माफ़ करना। आपको मैं बता देना चाहता हूँ मैं *दिव्या* (वर्मा अंकल की बेटी) से प्यार करता था ! लेकिन दोनों परिवार की दुश्मनी को देखते हुए मुझे लगा आप सब हमारे रिश्ते के लिए तैयार नहीं होंगे। आपको और मम्मी को..  *दिव्या* पसंद नहीं, क्यूंकि.. *वो शराब पीती है।* लेकिन आप सब नहीं जानते शराब पीने वाला कभी झुठ नहीं बोलता। मैं सुबह में जल्दी इसलिए निकला क्यूंकि मुझे उसकी *जमानत* करनी थी वो कल रात कुछ दोस्तों के साथ.. *चरस* पीती पकड़ी गयी थी और.. सबसे पहले उसने मुझे ही फ़ोन किया। क्या ये.. प्यार नहीं?  उसको *सास ससुर* पसंद नहीं ! वो आपको और मम्मी को गालियाँ देती रहती है , इसलिए हम सबके लिए ये ही अच्छा है ~ *हम अलग रहे।* रही बात मेरी नौकरी की , तो उसका भी इंतज़ाम दिव्या ने.. कर लिया है...

मां तो मां ही होती

  "मां तो मां ही होती________ बेटा घर में घुसते ही बोला, "मम्मी कुछ खाने को दे दो यार बहुत भूख लगी है। यह सुनते ही मैंने कहा, "बोला था ना ले जा कुछ कॉलेज, सब्जी तो बना ही रखी थी।" बेटा बोला, "यार मम्मी अपना ज्ञान ना अपने पास रखा करो। अभी जो कहा है वो कर दो बस और हाँ, रात में ढंग का खाना बनाना . पहले ही मेरा दिन अच्छा नहीं गया है।" कमरे में गई तो उसकी आंख लग गई थी। मैंने जाकर उसको जगा दिया कि कुछ खा कर सो जाए। चीख कर वो मेरे ऊपर आया कि जब आँख लग गई थी तो उठाया क्यों तुमने? मैंने कहा तूने ही तो कुछ बनाने को कहा था। वो बोला, "मम्मी एक तो कॉलेज में टेंशन ऊपर से तुम यह अजीब से काम करती हो। दिमाग लगा लिया करो कभी तो.!" तभी घंटी बजी तो बेटी भी आ गई थी। मैंने प्यार से पूछा, "आ गई मेरी बेटी कैसा था दिन?" बैग पटक कर बोली, "मम्मी आज पेपर अच्छा नहीं हुआ।" मैंने कहा," कोई बात नहीं, अगली बार कर लेना।" मेरी बेटी चीख कर बोली, "अगली बार क्या रिजल्ट तो अभी खराब हुआ ना। मम्मी यार तुम जाओ यहाँ से। तुमको कुछ नहीं पता...

आदमी की औकात

आदमी की औकात______ एक माचिस की तिल्ली, एक घी का लोटा, लकड़ियों के ढेर पे, कुछ घण्टे में राख..... बस इतनी-सी है *आदमी की औकात !!!!* एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया , अपनी सारी ज़िन्दगी , परिवार के नाम कर गया, कहीं रोने की सुगबुगाहट , तो कहीं फुसफुसाहट , ....अरे जल्दी ले जाओ कौन रखेगा सारी रात... बस इतनी-सी है *आदमी की औकात!!!!* मरने के बाद नीचे देखा , नज़ारे नज़र आ रहे थे, मेरी मौत पे ..... कुछ लोग ज़बरदस्त, तो कुछ ज़बरदस्ती रो रहे थे। नहीं रहा.. ........चला गया.......... चार दिन करेंगे बात......... बस इतनी-सी है *आदमी की औकात!!!!!* बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा, सामने अगरबत्ती जलायेगा , खुश्बुदार फूलों की माला होगी ...... अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी......... बाद में उस तस्वीर पे , जाले भी कौन करेगा साफ़... बस इतनी-सी है *आदमी की औकात !!!!!!* जिन्दगी भर, मेरा- मेरा- मेरा किया.... अपने लिए कम , अपनों के लिए ज्यादा जीया ... कोई न देगा साथ...जायेगा खाली हाथ.... क्या तिनका ले जाने की भी है हमारी औकात ??? *ये है हमारी औकात* फिर घमंड कैसा.........!!!!!!!!!!

फूटा घड़ा

बहुत समय पहले की बात है , किसी गाँव में एक किसान रहता था वह बहुत मेहनती था . वह रोज़ भोर में उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने के लिए गांव से बाहर जाया  करता था . इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था , जिन्हें वो डंडे में बाँध कर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था . उनमे से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था , और दूसरा एक दम सही था . इस वजह से रोज़ घर पहुँचते -पहुचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी ही बच पाता था . ऐसा दो सालों से चल रहा था . वो रोज सुबह पानी लाने जाया करता था,  एक घड़ा फुटे होने के कारण पानी गिर जाया करता था, सही घड़े को इस बात का घमंड था कि वो पूरा का पूरा पानी घर पहुंचता है और उसके अन्दर कोई कमी नहीं है , वहीँ दूसरी तरफ फूटा घड़ा इस बात से शर्मिंदा रहता था कि वो आधा पानी ही घर तक पंहुचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है . फूटा घड़ा ये सब सोच कर बहुत परेशान रहने लगा और एक दिन उससे रहा नहीं गया , उसने किसान से कहा , “ मैं खुद पर शर्मिंदा हूँ और आपसे क्षमा मांगना चाहता हूँ ?”  किसान  “क्यों ? “ , किसान ने पूछा , “ तुम कि...

प्रतिबद्धता

  "प्रतिबद्धता""___________        अगर आप मानते हैं कि आप सही हैं, लेकिन फिर भी लोग आपकी आलोचना करते हैं, आपको चोट लगती है, आप  उन पर चिल्लाओ मत , परेशान मत हो . बस इतना याद रखना " हर खेल में, सिर्फ दर्शक ही शोर करता है, खिलाडी नहीं." खिलाड़ी बनो । अपने आप में विश्वास. और सबसे अच्छा करो......!!!!!

प्रभु की इच्छा

एक राजा ने गुलाब खरीदा । उसका नाम पुछने पर वह बोला - आप जिस नाम से पुकारेगे , वही मेरा नाम होगा । राजा ने पूछा - तू क्या खाएगा, क्या पहनेगा ? " उसने कहा_ "जो आप खिला दें और जो आप पहनने को दें ‌। "राजा ने पुछा _ "तू काम क्या करेगा ?  उसने कहा- जो आप कराएं । "  राजा ने पूछा _ तू क्या चाहता हैं ? वह बोला _ गुलाम की कोई चाहत  नहीं होती , जो आपकी चाह है वहीं में थी चाह है,  " राजा उसे हद्बय से लगा लिया और बोला मैं तुझे अपना गुरु मानता हूं , क्यों की तूने मुझे बता दिया कि परमात्मा के सेवक को कैसा होना चाहिए? उसे भी अपनी चाह मिटाकर प्रभु की इच्छानुसार कार्य करना चाहिए.....!!!!!